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श्लोक 3.16.92  |
তার অল্প লঞা প্রভু জিহ্বাতে যদি দিলা
আর সব গোবিন্দের আঙ্চলে বান্ধিলা |
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तार अल्प लञा प्रभु जिह्वाते यदि दिला ।
आर सब गोविन्देर आँचले बान्धिला ॥92॥ |
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अनुवाद |
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श्री चैतन्य महाप्रभु ने प्रसाद से थोड़ा सा निवाला खाया। बाकी के हिस्से को गोविन्द ने अपने वस्त्र के छोर में बाँध लिया। |
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