श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 9
 
 
श्लोक  3.16.9 
গৌড-দেশে হয যত বৈষ্ণবের গণ
সবার উচ্ছিষ্ট তেঙ্হো করিল ভোজন
गौड़ - देशे हय यत वैष्णवेर गण ।
सबार उच्छिष्ट तेंहो करिल भोजन ॥9॥
 
अनुवाद
कालिदास ने बंगाल में रहने वाले सभी वैष्णवों के बचे हुए भोजन को खा लिया।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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