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श्लोक 3.16.88  |
হেন-কালে ‘গোপাল-বল্লভ’-ভোগ লাগাইল
শঙ্খ-ঘণ্টা-আদি সহ আরতি বাজিল |
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हेन - काले ‘गोपाल - वल्लभ’ - भोग लागाइल ।
शङ्ख - घण्टा - आदि सह आरति बाजिल ॥88॥ |
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अनुवाद |
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तब भगवान जगन्नाथ को गोपाल वल्लभ भोग नामक भोजन अर्पण किया गया और शंख व घंटियों के बजने के साथ आरती की गई। |
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