श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 84
 
 
श्लोक  3.16.84 
সেহ বলে, — ‘এই দেখ শ্রী-পুরুষোত্তম
নেত্র ভরিযা তুমি করহ দরশন’
 
 
सेह बले , - ‘एइ देख श्री - पुरुषोत्तम ।
नेत्र भरिया तुमि करह दरशन’ ॥84॥
 
अनुवाद
 
  द्वारपाल बोला, देखो, भगवान् श्री पुरुषोत्तम वहाँ विराजमान हैं! यहाँ से आप भगवान् के दर्शन करके अपनी आँखों को तृप्त कर सकते हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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