वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 3: अन्त्य लीला
»
अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान
»
श्लोक 81
श्लोक
3.16.81
তারে বলে, — ‘কোথা কৃষ্ণ, মোর প্রাণ-নাথ?
মোরে কৃষ্ণ দেখাও’ বলি’ ধরে তার হাত
तारे बले , - ‘कोथा कृष्ण, मोर प्राण - नाथ? ।
मोरे कृष्ण देखाओ’ बलि’ धरे तार हात ॥81॥
अनुवाद
play_arrowpause
महाप्रभु ने द्वारपाल से पूछा, "मेरे जीवन के प्राण कृष्ण कहाँ हैं? मुझे कृष्ण दिखाओ।" इतना कहकर उन्होंने द्वारपाल का हाथ पकड़ लिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.