श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 80
 
 
श्लोक  3.16.80 
এক-দিন প্রভু গেলা জগন্নাথ-দরশনে
সিṁহ-দ্বারে দল-ই আসি’ করিল বন্দনে
 
 
एक - दिन प्रभु गेला जगन्नाथ - दरशने ।
सिंह - द्वारे दल - इ आ सि’ करिल वन्दने ॥80॥
 
अनुवाद
 
  एक दिन जब श्री चैतन्य महाप्रभु जगन्नाथजी के मन्दिर में दर्शन हेतु पहुंचे, तो सिंहद्वार के द्वारपाल ने उनके निकट जाकर उन्हें नमस्कार किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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