वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 3: अन्त्य लीला
»
अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान
»
श्लोक 79
श्लोक
3.16.79
রাত্রি-দিনে স্ফুরে কৃষ্ণের রূপ-গন্ধ-রস
সাক্ষাদ্-অনুভবে, — যেন কৃষ্ণ-উপস্পর্শ
रात्रि - दिने स्फुरे कृष्णेर रूप - गन्ध - रस ।
साक्षादनुभवे, - येन कृष्ण - उपस्पर्श ॥79॥
अनुवाद
play_arrowpause
पूरे दिन और रात के समय, श्री चैतन्य महाप्रभु को कृष्ण की सुंदरता, सुगंध और स्वाद का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ, जैसे कि वह कृष्ण को हाथों से छू रहे हों।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.