তাঙ্-সবার সঙ্গে প্রভুর ছিল বাহ্য-জ্ঞান
তাঙ্রা গেলে পুনঃ হৈলা উন্মাদ প্রধান
ताँ - सबार सङ्गे प्रभुर छिल बाह्य - ज्ञान ।
ताँरा गेले पुनः हैला उन्माद प्रधान ॥78॥
अनुवाद
जब तक ये भक्त ओड़िशा राज्य के पुरी में रहे, तब तक श्री चैतन्य महाप्रभु ने अपनी बाहरी चेतना बनाए रखी, किन्तु जैसे ही ये चले गये, उसके बाद से महाप्रभु फिर से श्री कृष्ण के प्रेम के उन्माद में डूब गए।