श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 71
 
 
श्लोक  3.16.71 
“তুমি কৃষ্ণ-নাম-মন্ত্র কৈলা উপদেশে
মন্ত্র পাঞা কা’র আগে না করে প্রকাশে
 
 
“तुमि कृष्ण - नाम - मन्त्र कैला उपदेशे ।
मन्त्र पाञा का’र आगे ना करे प्रकाशे ॥71॥
 
अनुवाद
 
  उन्होंने कहा, "हे प्रभु, आपने उसे कृष्ण नाम में दीक्षित तो कर दिया, किन्तु मन्त्र पाने के बाद भी वह उसे सभी के सामने प्रकट नहीं करेगा।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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