এই তিন-সেবা হৈতে কৃষ্ণ-প্রেমা হয
পুনঃ পুনঃ সর্ব-শাস্ত্রে ফুকারিযা কয
एइ तिन - सेवा हैते कृष्ण - प्रेमा हय ।
पुनः पुनः सर्व - शास्त्रे फुकारिया कय ॥61॥
अनुवाद
इन तीनों की सेवा करने से मनुष्य को कृष्ण-प्रेम का परम लक्ष्य प्राप्त होता है। सभी प्रमाणित शास्त्रों में बार-बार पुकार-पुकार कर इसकी उद्घोषणा की गई है।