श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 60
 
 
श्लोक  3.16.60 
ভক্ত-পদ-ধূলি আর ভক্ত-পদ-জল
ভক্ত-ভুক্ত-অবশেষ, — তিন মহা-বল
 
 
भक्त - पद - धूलि आर भक्त - पद - जल ।
भक्त - भुक्त - अवशेष, तिन महा - बल ॥60॥
 
अनुवाद
 
  भक्त के चरणों की धूल, भक्त के चरणों का धोया हुआ पानी, और भक्त द्वारा बचा हुआ भोजन - ये तीन अत्यन्त शक्तिशाली वस्तुएँ हैं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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