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श्लोक 3.16.55  |
বহির্-দ্বারে আছে কালিদাস প্রত্যাশা করিযা
গোবিন্দেরে ঠারে প্রভু কহেন জানিযা |
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बहिर्द्वारे आछे कालिदास प्रत्याशा करिया ।
गोविन्देरे ठारे प्रभु कहेन जानिया ॥55॥ |
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अनुवाद |
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श्री चैतन्य महाप्रभु के भोजन के अवशेष पाने की आशा में कालिदास दास ने दरवाजे के बाहर प्रतीक्षा की। |
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