श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 54
 
 
श्लोक  3.16.54 
তবে প্রভু করিলা জগন্নাথ দরশন
ঘরে আসি’ মধ্যাহ্ন করি’ করিল ভোজন
 
 
तबे प्रभु करिला जगन्नाथ दरशन ।
घरे आ सि’ मध्याह्न क रि’ करिल भोजन ॥54॥
 
अनुवाद
 
  भगवान नृसिंहदेव को नमस्कार करने के बाद श्री चैतन्य महाप्रभु ने भगवान जगन्नाथ के मंदिर में दर्शन किए। इसके बाद वह अपने घर लौट आए और दोपहर के कर्मों को करके भोजन ग्रहण किया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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