श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 51
 
 
श्लोक  3.16.51 
প্রতি-দিন তাঙ্রে প্রভু করেন নমস্কার
নমস্করি’ এই শ্লোক পডে বার-বার
 
 
प्रति - दिन ताँरे प्रभु करेन नमस्कार ।
नमस्क रि’ एइ श्लोक पड़े बार - बार ॥51॥
 
अनुवाद
 
  अपने बाईं ओर भगवान नृसिंह का अर्चाविग्रह होने पर श्री चैतन्य महाप्रभु ने उन्हें नमन किया क्योंकि वे मंदिर की ओर जा रहे थे। नमन करते हुए वे बार-बार निम्नलिखित श्लोक पढ़ते थे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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