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श्लोक 48
श्लोक
3.16.48
সর্বজ্ঞ-শিরোমণি চৈতন্য ঈশ্বর
বৈষ্ণবে তাঙ্হার বিশ্বাস, জানেন অন্তর
सर्वज्ञ - शिरोमणि चैतन्य ईश्वर ।
वैष्णवे ताँहार विश्वास, जानेन अन्तर ॥48॥
अनुवाद
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श्री चैतन्य महाप्रभु सर्वश्रेष्ठ, सर्वज्ञ पूर्ण पुरुषोत्तम भगवान् हैं। अतः वे जानते थे कि कालिदास के हृदय की गहराइयों में वैष्णवों के प्रति पूरी श्रद्धा है।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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