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श्लोक 3.16.45  |
এক-দিন প্রভু তাঙ্হা পাদ প্রক্ষালিতে
কালিদাস আসি’ তাহাঙ্ পাতিলেন হাতে |
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एक - दिन प्रभु ताँहा पाद प्रक्षालिते ।
कालिदास आ सि’ ताहाँ पातिलेन हाते ॥45॥ |
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अनुवाद |
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एक दिन जब श्री चैतन्य महाप्रभु उसी स्थान पर अपने चरण धो रहे थे, तब कालिदास वहाँ आए और जल लेने के लिए अपनी अंजुली आगे बढ़ाई। |
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