श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 42
 
 
श्लोक  3.16.42 
সেই গাডে করেন প্রভু পাদ-প্রক্ষালনে
তবে করিবারে যায ঈশ্বর-দরশনে
 
 
सेइ गाड़े करेन प्रभु पाद - प्रक्षालने ।
तबे करिबारे याय ईश्वर - दरशने ॥42॥
 
अनुवाद
 
  श्री चैतन्य महाप्रभु इस गड्ढे में अपने पाँव धोया करते थे, और तब वो मंदिर में प्रवेश करके भगवान जगन्नाथ जी का दर्शन करते थे।
 
 
 
  Connect Form
  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
  © copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.