প্রতি-দিন প্রভু যদি যা’ন দরশনে
জল-করঙ্গ লঞা গোবিন্দ যায প্রভু-সনে
प्रति - दिन प्रभु यदि या’न दरशने ।
जल - करङ्ग लञा गोविन्द ग़ाय प्रभु - सने ॥40॥
अनुवाद
श्री चैतन्य महाप्रभु प्रतिदिन नियमित रूप से जगन्नाथ जी के मन्दिर में दर्शनार्थ जाते थे और उस समय उनका निजी सेवक गोविन्द उनके जलपात्र को लेकर उनके साथ-साथ जाता था।