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श्लोक 34
श्लोक
3.16.34
কলার পাটুযা-খোলা হৈতে আম্র নিকাশিযা
তাঙ্র পত্নী তাঙ্রে দেন, খাযেন চূষিযা
कलार पाटुया - खोला हैते आम्र निकाशिया ।
ताँर पत्नी ताँरे देन, खायेन चूषिया ॥34॥
अनुवाद
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तब झाडू ठाकुर की पत्नी ने केले के पत्ते और छिलके में लिपटे हुए आमों को निकाला और उन्हें झाडू ठाकुर को दिया, जिनके बाद उन्होंने उन्हें चूसकर खाना शुरु कर दिया।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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