श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 33
 
 
श्लोक  3.16.33 
ঝডু-ঠাকুর ঘর যাই’ দেখি’ আম্র-ফল
মানসেই কৃষ্ণ-চন্দ্রে অর্পিলা সকল
 
 
झडु - ठाकुर घर याइ’ देखि’ आम्र - फल ।
मानसेइ कृष्ण - चन्द्रे अर्पिला सकल ॥33॥
 
अनुवाद
 
  घर लौटकर झाडू ठाकुर ने देखा कि कालीदास ने जो आम दिए थे, वे वहीं रखे हुए हैं। उसी समय उन्होंने मन ही मन उन आमों को कृष्णचन्द्र को अर्पित कर दिया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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