|
|
|
श्लोक 3.16.32  |
সেই ধূলি লঞা কালিদাস সর্বাঙ্গে লেপিলা
তাঙ্র নিকট এক-স্থানে লুকাঞা রহিলা |
|
 |
|
सेइ धूलि लञा कालिदास सर्वाङ्गे लेपिला ।
ताँर निकट एक - स्थाने लुकाञा रहिला ॥32॥ |
|
अनुवाद |
|
कालिदास ने उन पदचिन्हों की धूलि को पूरे शरीर पर मल लिया। तत्पश्चात वे झाड़ू ठाकुर के घर के निकट एक स्थान में छिप गए। |
|
|
|
|