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श्लोक 3.16.31  |
তাঙ্রে বিদায দিযা ঠাকুর যদি ঘরে আইল
তাঙ্র চরণ-চিহ্ন যেই ঠাঞি পডিল |
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ताँरे विदाय दिया ठाकुर यदि घरे आइल ।
ताँर चरण - चिह्न येइ ठाञि पड़िल ॥31॥ |
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अनुवाद |
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कालिदास को विदा करने के पश्चात् झाडू ठाकुर अपने घर लौट आये, बुद्धिमान की तर्ज पर अपने हर कदम में अपने पदचिह्न स्पष्ट रूप से छोड़ते हुए। |
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