श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 31
 
 
श्लोक  3.16.31 
তাঙ্রে বিদায দিযা ঠাকুর যদি ঘরে আইল
তাঙ্র চরণ-চিহ্ন যেই ঠাঞি পডিল
ताँरे विदाय दिया ठाकुर यदि घरे आइल ।
ताँर चरण - चिह्न येइ ठाञि पड़िल ॥31॥
 
अनुवाद
कालिदास को विदा करने के पश्चात् झाडू ठाकुर अपने घर लौट आये, बुद्धिमान की तर्ज पर अपने हर कदम में अपने पदचिह्न स्पष्ट रूप से छोड़ते हुए।
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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