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श्लोक 3.16.30  |
তারে নমস্করি’ কালিদাস বিদায মাগিলা
ঝডু-ঠাকুর তবে তাঙ্র অনুব্রজি’ আইলা |
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तारे नमस्क रि’ कालिदास विदाय मागिला ।
झड़ - ठाकुर तबे ताँर अनुव्रजि’ आइला ॥30॥ |
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अनुवाद |
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कालिदास ने फिर से झडु ठाकुर को प्रणाम किया और उनसे जाने की आज्ञा ली। संत झडु ठाकुर उनके साथ-साथ ही चले। |
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