श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 28
 
 
श्लोक  3.16.28 
শুনি’ ঠাকুর কহে, — “শাস্ত্র এই সত্য কয
সেই শ্রেষ্ঠ, ঐছে যাঙ্তে কৃষ্ণ-ভক্তি হয
 
 
शुनि’ ठाकुर कहे, - “शास्त्र एइ सत्य कय ।
सेइ श्रेष्ठ, ऐछे याँते कृष्ण - भक्ति हय ॥28॥
 
अनुवाद
 
  श्रीमद्भागवत शास्त्र के इन उद्धरणों को सुनकर, झडु ठाकुर ने उत्तर दिया, "हाँ, यह सच है, क्योंकि यह शास्त्र का कथन है। किन्तु यह उसी के लिए सत्य है, जो कृष्ण भक्ति में वास्तव में उन्नत हो।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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