আজ্ঞা দেহ’, — ব্রাহ্মণ-ঘরে অন্ন লঞা দিযে
তাহাঙ্ তুমি প্রসাদ পাও, তবে আমি জীযে”
आज्ञा देह’, - ब्राह्मण - घरे अन्न लञा दिये ।
ताहाँ तुमि प्रसाद पाओ, तबे आमि जीये” ॥19॥
अनुवाद
"यदि आप अनुमति प्रदान करें, तो मैं ब्राह्मण के घर कुछ भोजन भेजूँगा, जहाँ आप प्रसाद ग्रहण कर सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं, तो मैं बहुत आराम से रह पाऊँगा।"