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श्लोक 3.16.17  |
ইষ্টগোষ্ঠী কত-ক্ষণ করি’ তাঙ্র সনে
ঝডু-ঠাকুর কহে তাঙ্রে মধুর বচনে |
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इष्टगोष्ठी कत - क्षण क रि’ ताँर सने ।
झडु - ठाकुर कहे ताँरे मधुर वचने ॥17॥ |
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अनुवाद |
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कालिदास के साथ कुछ देर विचार-विमर्श करने के बाद झाडू ठाकुर ने उनसे निम्नलिखित मधुर वचन कहे। |
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