श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 17
 
 
श्लोक  3.16.17 
ইষ্টগোষ্ঠী কত-ক্ষণ করি’ তাঙ্র সনে
ঝডু-ঠাকুর কহে তাঙ্রে মধুর বচনে
 
 
इष्टगोष्ठी कत - क्षण क रि’ ताँर सने ।
झडु - ठाकुर कहे ताँरे मधुर वचने ॥17॥
 
अनुवाद
 
  कालिदास के साथ कुछ देर विचार-विमर्श करने के बाद झाडू ठाकुर ने उनसे निम्नलिखित मधुर वचन कहे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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