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श्लोक 3.16.15  |
আম্র ভেট দিযা তাঙ্র চরণ বন্দিলা
তাঙ্র পত্নীরে তবে নমস্কার কৈলা |
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आम्र भेट दिया ताँर चरण वन्दि ला ।
ताँर पनीरे तबे नमस्कार कैला ॥15॥ |
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अनुवाद |
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कालिदास ने वे आम झाड़ू ठाकुर को अर्पित किए और उन्हें श्रद्धापूर्वक प्रणाम किया। इसके बाद उन्होंने ठाकुर की पत्नी को भी नमस्कार किया। |
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