“गोपियों ने मन ही मन सोचा, ‘ये वंशी तो अपने पद के लायक बिल्कुल नहीं। हम जानना चाहती हैं कि इस वंशी कैसे तपस्याएँ कीं, ताकि हम भी वही तपस्या कर सकें। ये वंशी तो अयोग्य है, फिर भी कृष्ण इसे अपने होठों से लगा कर अमृत का पान कर रहे हैं। यह देखकर हम योग्य गोपियाँ दुःख से तड़प रही हैं। इसलिए हमें यह पता लगाना चाहिए कि पिछले जन्म में वंशी ने कौन-कौन सी तपस्याएँ की थीं।’”