श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 141
 
 
श्लोक  3.16.141 
এই শ্লোক শুনি’ প্রভু ভাবাবিষ্ট হঞা
উত্কণ্ঠাতে অর্থ করে প্রলাপ করিযা
 
 
एइ श्लोक शुनि’ प्रभु भावाविष्ट हञा ।
उत्कण्ठाते अर्थ करे प्रलाप करिया ॥141॥
 
अनुवाद
 
  इस श्लोक को सुनकर श्री चैतन्य महाप्रभु भक्ति भावना में लीन हो गए और अत्यधिक उद्वेलित मन से मस्त व्यक्ति की तरह इसका अर्थ समझाने लगे।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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