श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 134
 
 
श्लोक  3.16.134 
কহিতে কহিতে প্রভুর মন ফিরি’ গেল
ক্রোধ-অṁশ শান্ত হৈল, উত্কণ্ঠা বাডিল
 
 
कहिते कहिते प्रभुर मन फिरि’ गेल ।
क्रोध - अंश शान्त हैल, उत्कण्ठा बाड़िल ॥134॥
 
अनुवाद
 
  जब श्री चैतन्य महाप्रभु इस प्रकार बातें कर रहे थे, तो उनका मन परिवर्तित हो गया। उनका क्रोध समाप्त हो गया, लेकिन उनका मानसिक उग्रता बढ़ गई।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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