“वह वंशी (वेणु) बड़ा चतुर पुरुष है, जो दूसरे पुरुष के होठों के स्वाद का बार-बार पान करता है। यह वंशी रूपी पुरुष अपने गुणों का विज्ञापन करते हुए गोपियों से कहता है, ‘अरे गोपियों, अगर तुम्हें स्त्री होने पर इतना गर्व है, तो आगे आओ और अपनी संपत्ति - भगवान के होठों के अमृत का - भोग करो।’”