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श्लोक 12
श्लोक
3.16.12
ভোজন করিলে পাত্র ফেলাঞা যায
লুকাঞা সেই পাত্র আনি’ চাটি’ খায
भोजन करिले पात्र फेला ञा याय ।
लुकाञा सेइ पात्र आ नि’ चाटि’ खाय ॥12॥
अनुवाद
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वैष्णवों के भोजन करने के बाद, जब वे अपना पत्तल फेंक देते, तब कालिदास छुपी हुई जगह से बाहर आ जाते थे और पत्तलों को लेकर उनके बचे हुए भोजन को चाट जाते थे।
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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