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श्लोक 3.16.114  |
অনেক ‘সুকৃতে’ ইহা হঞাছে সম্প্রাপ্তি
সবে এই আস্বাদ কর করি’ মহা-ভক্তি” |
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अनेक ‘सुकृते’ इहा ह ञाछे सम्प्राप्ति ।
सबे एइ आस्वाद कर क रि’ महा - भक्ति” ॥114॥ |
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अनुवाद |
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“ये प्रसाद अनेकों पुण्यों के फलस्वरूप ही मिला है। अब इसको बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ ग्रहण करो।” |
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