श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 113
 
 
श्लोक  3.16.113 
অলৌকিক-গন্ধ-স্বাদ, অন্য-বিস্মারণ
মহা-মাদক হয এই কৃষ্ণাধরের গুণ
 
 
अलौकिक - गन्ध - स्वाद, अन्य - विस्मारण ।
महा - मादक हय एइ कृष्णाधरेर गुण ॥113॥
 
अनुवाद
 
  कृष्ण के होठों की विशेषताएँ हैं - "असाधारण, बहुत ही मोहक सुगंध और स्वाद, जो अन्य सभी अनुभवों को भुला देते हैं।"
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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