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श्लोक 3.16.112  |
তাতে এই দ্রব্যে কৃষ্ণাধর-স্পর্শ হৈল
অধরের গুণ সব ইহাতে সঞ্চারিল |
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ताते ए इ द्रव्ये कृष्णाधर - स्पर्श हैल ।
अधरेर गुण सब इहाते सञ्चारिल ॥112॥ |
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अनुवाद |
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इसलिए, हमें यह समझना चाहिए कि इन साधारण वस्तुओं में कृष्ण के मुखरबिंद के अमृत का स्पर्श हुआ है और उनकी वजह से इनमें वो सभी आध्यात्मिक गुण हैं। |
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