श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 16: श्री चैतन्य महाप्रभु द्वारा कृष्ण के अधरों का अमृतपान  »  श्लोक 110
 
 
श्लोक  3.16.110 
সেই দ্রব্যে এত আস্বাদ, গন্ধ লোকাতীত
আস্বাদ করিযা দেখ, — সবার প্রতীত
सेइ द्रव्ये एत आस्वाद, गन्ध लोकातीत ।
आस्वाद करिया देख , - सबार प्रतीत ॥110॥
 
अनुवाद
महाप्रभु ने फिर कहा, "किन्तु इन वस्तुओं में असामान्य स्वाद और सुगंध हैं। इनको चखो तो और अंतर का अनुभव करके देखो।"
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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