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श्लोक 3.16.102  |
মধ্যাহ্ন করিযা কৈলা ভিক্ষা নির্বাহণ
কৃষ্ণাধরামৃত সদা অন্তরে স্মরণ |
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मध्याह्न करिया कैला भिक्षा निर्वाहण ।
कृष्णाधरामृत सदा अन्तरे स्मरण ॥102॥ |
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अनुवाद |
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दोपहर के कार्य पूरे कर श्री चैतन्य महाप्रभु ने दोपहर का भोजन किया, लेकिन एकांत में बैठ कर वे निरंतर कृष्ण प्रसाद के अवशेष को स्मरण करते रहे। |
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