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श्लोक 100
श्लोक
3.16.100
‘সুকৃতি’-শব্দে কহে ‘কৃষ্ণ-কৃপা-হেতু পুণ্য’
সেই যাঙ্র হয, ‘ফেলা’ পায সেই ধন্য”
‘सुकृति’ - शब्दे कहे ‘कृष्ण - कृपा - हेतु पुण्य’ ।
सेइ याँर हय, ‘फेला’ पाय सेइ धन्य” ॥100॥
अनुवाद
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"‘सुकृति’ शब्द उन पुण्य कर्मों से संबन्धित है जो कृष्ण की कृपा से ही सम्भव हो पाते हैं। जिस किसी को भी ऐसी कृपा प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त होता है, उसी को प्रभु के भोजन का अवशेष मिलता है और वह धन्य हो जाता है।"
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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