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श्लोक 3.15.90  |
‘বল্’ ‘বল্’ বলি’ প্রভু কহেন বার-বার
না গায স্বরূপ-গোসাঞি শ্রম দেখি’ তাঙ্র |
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‘बल्’ ‘बल्’ बलि’ प्रभु कहेन बार - बार ।
ना गाय स्वरूप - गोसाञि श्रम दे खि’ ताँर ॥90॥ |
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अनुवाद |
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श्री चैतन्य महाप्रभु बार-बार कह रहे थे, “आगे बढ़ो! गाओ! गाते रहो!” किन्तु महाप्रभु की थकान देखकर स्वरूप दामोदर ने उसका गायन फिर से शुरू नहीं किया। |
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