वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 3: अन्त्य लीला
»
अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद
»
श्लोक 89
श्लोक
3.15.89
এই-মত নৃত্য যদি হ-ইল বহু-ক্ষণ
স্বরূপ-গোসাঞি পদ কৈলা সমাপন
एइ - मत नृत्य यदि ह - इल बहु - क्षण ।
स्वरूप - गोसाञि पद कैला समापन ॥89॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब महाप्रभु बहुत देर तक नृत्य करते रहे, तब स्वरूप दामोदर गोस्वामी ने वह पद गाना बंद कर दिया।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.