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श्लोक 3.15.85  |
স্বরূপ-গোসাঞি যবে এই পদ গাহিলা
উঠি’ প্রেমাবেশে প্রভু নাচিতে লাগিলা |
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स्वरूप - गोसाञि यबे एइ पद गाहिला ।
उठि’ प्रेमावेशे प्रभु नाचिते लागिला ॥85॥ |
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अनुवाद |
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जब स्वरूप दामोदर गोस्वामी ने यह खास पद गाया, तो श्री चैतन्य महाप्रभु तुरंत उठे और प्रेम के वशीभूत होकर नाचने लगे। |
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