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श्लोक 3.15.83  |
স্বরূপ-গোসাঞি তবে মধুর করিযা
গীত-গোবিন্দের পদ গায প্রভুরে শুনাঞা |
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स्वरूप - गोसाञि तबे मधुर करिया ।
गीत - गोविन्देर पद गाय प्रभुरे शुनाञा ॥83॥ |
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अनुवाद |
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इस प्रकार श्री चैतन्य महाप्रभु को प्रसन्न करने के लिए स्वरूप दामोदर गोस्वामी ने गीत गोविन्द का निम्नलिखित पद अत्यंत मधुर स्वर में गाना शुरू कर दिया। |
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