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श्लोक 80
श्लोक
3.15.80
চঞ্চল-স্বভাব কৃষ্ণের, না রয এক-স্থানে
দেখা দিযা মন হরি’ করে অন্তর্ধানে
चञ्चल - स्वभाव कृष्णेर, ना रय एक - स्थाने ।
देखा दिया मन ह रि’ करे अन्तर्धाने ॥80॥
अनुवाद
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“स्वभाव से श्री कृष्ण अति चपल हैं। वे एक स्थान पर नहीं ठहरते। किसी से मिलते हैं, उसको मोहते हैं और फिर अंतर्धान हो जाते हैं।”
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हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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