श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 77
 
 
श्लोक  3.15.77 
এতেক বিলাপ করি’ প্রেমাবেশে গৌরহরি,
এই অর্থে পডে এক শ্লোক
যেই শ্লোক পডি’ রাধা, বিশাখারে কহে বাধা,
উঘাডিযা হৃদযের শোক
 
 
एतेक विलाप क रि’ प्रेमावेशे गौरहरि ,
एइ अर्थे पड़े एक श्लोक ।
सेइ श्लोक प ड़ि’ राधा, विशाखारे कहे बाधा ,
उघाड़िया हृदयेर शोक ॥77॥
 
अनुवाद
 
  प्रेमावश होकर शोक करते हुये श्री चैतन्य महाप्रभु तत्पश्चात निम्नलिखित श्लोक का पाठ किया, जोकि श्रीमती राधारानी ने अपनी सहेली श्रीमती विशाखा से अपनी अंतर्मन की पीड़ा को प्रकट करने के लिए कहा था।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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