অতি উচ্চ সুবিস্তার, লক্ষ্মী-শ্রীবত্স-অলঙ্কার,
কৃষ্ণের যে ডাকাতিযা বক্ষ
ব্রজ-দেবী লক্ষ লক্ষ, তা-সবার মনো-বক্ষ,
হরি-দাসী করিবারে দক্ষ
अति उच्च सुविस्तार, लक्ष्मी - श्रीवत्स - अलङ्कार
कृष्णेर ये डाकातिया वक्ष ।
व्रज - देवी लक्ष लक्ष, ता - सबार मनो - वक्ष
हरि - दासी करिबारे दक्ष ॥74॥
अनुवाद
कृष्ण के सीने पर श्रीवत्स चिह्न जैसे आभूषण हैं, जो लक्ष्मी के वास का सूचक है। उनका सीना, जो एक लुटेरे के सीने की तरह चौड़ा है, लाखों व्रज की स्त्रियों के मन और सीने को बलात् आकर्षित करता है। इस प्रकार वे सभी परम पुरुषोत्तम भगवान के दास बन जाते हैं।