श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 69
 
 
श्लोक  3.15.69 
পুনঃ কহে, — ‘হায হায, পড পড রাম-রয’,
কহে প্রভু গদ্গদ আখ্যানে
রামানন্দ পডে শ্লোক, শুনি’ প্রভুর হর্ষ-শোক,
আপনে প্রভু করেন ব্যাখ্যানে
 
 
पुनः कहे, - ‘हाय हाय, पड़ पड़ राम - रय’,
कहे प्रभु गद्गद आख्याने ।
रामानन्द पड़े श्लोक, शुनि’ प्रभुर हर्ष - शोक,
आपने प्रभु करेन व्याख्याने ॥69॥
 
अनुवाद
 
  श्री चैतन्य महाप्रभु ने रुँधे गले से फिर से कहा, "हाय, हाय, रामराय, तुम चरणामृत गाते रहो।" तब रामानंद राय ने एक श्लोक का गान करना शुरू किया। इस श्लोक को सुनकर कभी प्रभु अत्यंत उल्लसित हो जाते, तो कभी विलाप से व्याकुल हो जाते। अंत में प्रभु ने स्वयं उस श्लोक का अर्थ समझाया।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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