नवाम्बुद - लसद्द्युतिर्नव - तड़िमनोज्ञाम्बरः सुचित्र - मुरली - स्फुरच्छरदमन्द - चन्द्राननः ।
मयूर - दल - भूषितः सुभग - तार - हार - प्रभः स मे मदन - मोहनः सखि तनोति नेत्र - स्पृहाम् ॥63॥
अनुवाद
"हे प्रिय सखी, कृष्ण के शरीर की चमक नवनिर्मित बादल से भी अधिक तेज है और उनका पीताम्बर चमकीली बिजली से अधिक आकर्षक है। उनके सिर पर मोरपंख सुशोभित है और उनके गले में मोतियों से बनी चमकदार माला पड़ी हुई है। जब वे अपने होंठों पर मोहक बांसुरी रखते हैं, तो उनका चेहरा पूर्ण शरदकालीन चंद्रमा की तरह सुंदर दिखता है। ऐसे मनमोहक सौंदर्य से युक्त कामदेव को मोहित करने वाले मदनमोहन मेरे उनको देखने की इच्छा को बढ़ा रहे हैं।"