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श्लोक 3.15.60  |
“কাহাঙ্ গেলা কৃষ্ণ? এখনি পাইনু দরশন!
তাঙ্হার সৌন্দর্য মোর হরিল নেত্র-মন! |
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“काहाँ गेला कृष्ण? एखनि पाइनु दरशन! ।
ताँहार सौन्दर्य मोर हरिल नेत्र - मन! ॥60॥ |
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अनुवाद |
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श्री चैतन्य महाप्रभु ने कहा, "मेरे कृष्ण कहाँ चले गए हैं? अभी-अभी मैंने उन्हें देखा था और उनके सौंदर्य ने मेरी आँखों और मन को मोह लिया है।" |
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