वेदामृत
Reset
Home
ग्रन्थ
श्रीमद् वाल्मीकि रामायण
श्रीमद् भगवद गीता
______________
श्री विष्णु पुराण
श्रीमद् भागवतम
______________
श्रीचैतन्य भागवत
वैष्णव भजन
About
Contact
श्री चैतन्य चरितामृत
»
लीला 3: अन्त्य लीला
»
अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद
»
श्लोक 57
श्लोक
3.15.57
সৌন্দর্য দেখিযা ভূমে পডে মূর্চ্ছা পাঞা
হেন-কালে স্বরূপাদি মিলিলা আসিযা
सौन्दर्य देखिया भूमे पड़े मूर्च्छा पाञा ।
हेन - काले स्वरूपादि मिलिला आसिया ॥57॥
अनुवाद
play_arrowpause
जब श्री चैतन्य महाप्रभु ने श्री कृष्ण की दिव्य सुंदरता देखी, तो वे अचेत होकर भूमि पर गिर पड़े। उस समय स्वरूप दामोदर गोस्वामी इत्यादि समस्त भक्तगण पुष्पवाटिका में उनके पास आ गये।
Connect Form
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
© copyright 2024 vedamrit. All Rights Reserved.