श्री चैतन्य चरितामृत  »  लीला 3: अन्त्य लीला  »  अध्याय 15: श्री चैतन्य महाप्रभु का दिव्य उन्माद  »  श्लोक 49
 
 
श्लोक  3.15.49 
আগে বৃক্ষ-গণ দেখে পুষ্প-ফল-ভরে
শাখা সব পডিযাছে পৃথিবী-উপরে
 
 
आगे वृक्ष - गण देखे पुष्प - फल - भरे ।
शाखा सब पड़ियाछे पृथिवी - उपरे ॥49॥
 
अनुवाद
 
  तब गोपियाँ अनेकों वृक्षों के पास गईं, जिनकी शाखाएँ फलों और फूलों से इस कदर लदी हुई थीं कि वे धरती को छू रही थीं।
 
 
 
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  हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
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